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२२६ | शावर तन्त्र शास्त्र
विधि
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ताम्रपत्र के ऊपर मङ्गल का त्रिकोण यन्त्र बनाकर, उसका केला, लाल चन्दन, तथा लाल कन्नेर के फूलों से पूजन करें। फिर पूर्वोक्त मंगल के २१ नामों को २१ बार जपे ।
प्रत्येक नाम के साथ निम्नलिखित मन्त्र का पुट लगाना चाहिए“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः मङ्गलाय नमः ।"
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः ।"
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मङ्गल के २१ नाम अलग-अलग इस प्रकार हैं(१) मंगलाय
(११) धरात्मजाय
(२) भूमि पुत्राय
(३) ॠण ह
(४) धन प्रदाय
(५) स्थिरासनाय
(६) महाकायाय (७) सर्वकर्माविरोधाय
(८) लोहिताय
(६) लोहिताक्षाय
(१०) सामगानांकृपाकराय
(१२) कुजाय
(१३) भौमाय
(१४) भूतदाय
(१५) भूमिनन्दनाय
(१६) अङ्गारकाय
(१७) यमाम
(१८) सर्व रोगापहारकाय
(१६) वृष्टि क
(२०) आपद्ध
(२१) सर्व काम फलप्रदाय
उक्त सब नामों के अन्त में 'नमः' शब्द लगाकर तथा बोज - मन्त्र को आदि अन्त में लगाकर २१ नामों को २१ बार जपे ।
मन्त्र जप के बाद खैर की लकड़ी से बाँई ओर तीन लकीरें खींचकर उन्हें निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर बाँये पाँव से मिटा द मन्त्र - "दुख दुर्भाग्य नाशाय धन सन्तान हेतवः । व्रत रेखादि य वायेमे वाम पाद तलेनुतः ॥”
नाम जप के बाद १ माला "भौम - गायत्री मन्त्र' को पढ़ें, जो इस प्रकार हैं
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