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२.४ | शावर तन्त्र शास्त्र
प्रयोग-विधि
उक्त मन्त्र द्वारा शिवजी से प्रार्थना करके रात्रि को सो जाय । फिर जो स्वप्न में दिखाई दे, उसे प्रातः काल अपने गुरुदेव से कह कर उसका फल जान ले।
विद्या-मन्त्र
मन्त्र-“ॐ ह्रीं श्री अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती
ऐं नमः स्वा विद्यादेहि मम ह्रीं सरस्वती स्वाहा ।" साधन-विधि
सर्वप्रथम ग्रहण के समय इस मन्त्र का १४४ बार जप करें। फिर विधिपूर्वक नित्य तीनों समय १०८ बार मन्त्र जप करें तो दिन-दिन विद्या की वृद्धि हो।
पृथ्वी में गढ़ा धन दिखाई देने का मन्त्र
मन्त्र-"श्रीं ह्रीं क्लीं सौंषधी प्रणत नमो विच्चे स्वाहा ।" साधन-विधि___काले कौए की जीभ को काली गाय के दूध में औटाकर, दूध को जमा दें । जम जाने पर उसमें से घी निकालें। उस घी को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर आँख में आँजे अथवा काजल बनाकर, जो मनुष्य पाँवों की ओर से जन्मा हो, उसकी आँखों में लगायें तो उसे पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन दिखाई देगा। प्रयोग-विधि -
बिनौला, मूग और तिल को गाय के मूत्र में पीसें । पोसते समय पूर्वोक्त मन्त्र का उच्चारण करते जाय। फिर जिस स्थान पर खुदाई करनी हो, वहाँ पहले चौका लगाकर बलिदान दें तथा निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करेंमन्त्र- "ॐ नमो भगवते सुमेर रूपायै महाक्रांतायै कंकाल रूपायै
हुँ फट् स्वाहा ।"
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