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विविध रोग-नाशक मन्त्र
विभिन्न रोगों के विषयों में रोग अनेक प्रकार के होते हैं। उनमें से अधिकांश तो केवल औषधोपचार से ही ठीक हो सकते हैं, परन्तु कुछ को मन्त्रों द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। मन्त्रोपचार द्वारा ठीक किये जाने वाले रोगों में मृगी, नेहरूआ. घिनहीं, अण्डवृद्धि, दाढ़ का दर्द, सिर दर्द, आँख-दुखना, पेट-दर्द, पीलिया, बवासीर, बच्चों के रोग, कृमि, दाद, कखलाई आदि मुख्य हैं।
प्रस्तुत प्रकरण में मन्त्रोपचार द्वारा ठीक होने वाले रोगों से सम्बन्धित मन्त्रों का उल्लेख किया गया है। इन मन्त्रों का प्रयोग करने से पूर्व उन्हें निश्चित संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना आवश्यक है।
जिन मन्त्रों के साथ जप संख्या दी गई हो तथा साधन के मुहूर्त का उल्लेख किया गया हो, उन्हें तदनुसार ही सिद्ध करना चाहिए, परन्तु जिनके साथ इस विषय का उल्लेख न हो, उन्हें होली अथवा दीवाली की रात्रि में अथवा ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए। तदुपरान्त आवश्यकता के समय उल्लिखित संख्या में अथवा १०८ बार जपकर रोगी पर प्रयुक्त करना चाहिए। जिन मन्त्रों के प्रयोग में अन्य विधियों का उल्लेख हो, उनका तदनुसार ही प्रयोग करना चाहिए।
स्मरणीय है कि यदि मन्त्रोपचार द्वारा सफलता प्राप्त न हो तो रोग को मन्त्र के प्रभाव से परे जान कर, किसी सुयोग्य चिकित्सक द्वारा औषधोपचार कराना चाहिए ।
मगी का मन्त्र
मन्त्र-- "हाल हल सरगत मंडिका पुड़िया श्रीराम फुकै मृगीवायु
सूख ॐ ठः ठः स्वाहा ।"
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