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२१६ | शावर तन्त्र शास्त्र
महामूर्ति महामाया महाधर्मेश्वरी अर्ह ॥ मुक्ता माला धरा माया महामेधा महोदरी। महाजन्तो जगत्माता
महामुद्योतिनी अर्ह ॥" विधि
भगवती महालक्ष्मी के षोडश नाम युक्त उक्त स्तोत्र का जो व्यक्ति नित्य पाठ करता है, उस पर लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती है।
ज्वालामुखी मन्त्र
मन्त्र - "श्रीगणेशाय नमः । ॐ हीं श्रीं क्लीं सिद्धेश्वरी ज्वालामुखी
ज्र भिनी स्थंभिनी मोहिनी वशीकरणो परमन क्षोभिणी सर्व शत्रु निवारिणी ॐ औं क्रौं ह्रीं चाहि चाहि अक्षाभय
अक्षोभय सर्वजनं अमुकं मम वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा ।" विधि
सर्वप्रथम २५०० की संख्या में जप कर मन्त्र को सिद्ध करले। फिर १००० आहतियाँ होम की देकर २ ब्राह्मणों को भोजन कराये। तत्पश्चात नित्य १०८ की संख्या में मन्त्र का जप करता रहे। आवश्यकता के समय ३ अथवा ७ दिन तक नित्य १०८ मन्त्र आधी रात के समय खुले आकाश के नीचे एक पांव से खड़े होकर जपे तो कार्य अवश्य सिद्ध हो ।
शारदा मन्त्र
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मंत्रा-"ॐ ह्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती
ऐं नमः स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वती स्वाहा ।" विधि -
ग्रहण के समय इस मन्त्र का १४४ बार जप करे । फिर २१ दिन तक विधियुक्त १०८ की संख्या में रात्रिकाल में जप करें तथा बाद में नित्य एक माला मन्त्र का जप करता रहे तो विद्या की दिन प्रतिदिन वृद्धि हो।
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