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२१८ | शावर तन्त्र शास्त्र
विधि
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ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । तत्पश्चात् नित्य एक माला अर्थात् १०८ की संख्या में जप करते रहने से बुद्धि तथा विद्या की वृद्धि होती है ।
भगवती मन्त्रा
मन्त्र- "ॐ नमो भगवती रक्त पीठं नमः ।"
विधि-
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इस मन्त्र को लाल वस्त्र के ऊपर नित्य १००० की संख्या में ७ दिनों तक जपें । फिर उस कपड़े को अपने हृदय से लगायें तो भगवती की प्रसन्नता प्राप्त होकर साधक की समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं ।
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कर्ण पिशाचिनी मंत्र
मन्त्र
विधि -
मन्त्र- "ॐ हं हन हन स्वाहा ।"
विधि -
इस मन्त्र को सवा लाख की संख्या में जपने से कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होती है तथा साधक के कान में प्रश्नों का उत्तर देती है ।
रूद्र मन्त्र
“ॐ नमो भगवते रुद्राय हुँ फट् स्वाहा । "
धतूरा, कुसुम तथा घी इन तीनों को मिलाकर, उक्त मन्त्र का पाठ करते हुए १०००० (दस हजार ) की संख्या में होम करने से रुद्र देवता प्रसन्न होते हैं। यदि इतने से सफलता न मिले तो फिर १००००० (एक लाख) की संख्या में होम करना चाहिए, तब सफलता अवश्य मिलेगी ।
उच्छिष्ट गणपति मन्त्र
उच्छिष्ट गणपति साधन के मन्त्र, न्यास एवं विधि के सम्बन्ध में अगले पृष्ठानुसार समझना चाहिए ।
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