________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शावर तात्र शास्त्र | २१७ विद्या-बुद्धि-बर्दक मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ नमो भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग्वादिनी मम
विद्यां देहि भगवती हंस वाहिनी हंस समारूढा बुद्धि देहि देहि प्राज्ञा देहि देहि विद्यां देहि देहि परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा ।"
विधि
रविवार से आरम्भ करके २१ दिनों तक नित्य १००८ की संख्या में इस मन्त्र का जप करें। ब्रह्मचर्य से रहे तथा एक बार भोजन करें तो पढ़ी हुई विद्या कण्ठस्थ हो और उसे कभी न भूले तथा विद्या-बुद्धि की वृद्धि होती रहे।
सरस्वती मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ ह्रीं ऐं ह्री ॐ सरस्वत्यै नमः ।” विधि
किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ करके १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। फिर १ सेर गाय के घी को ४ सेर बकरी के दूध में डालकर उसमें एक-एक टंक सहजना की जड़, वच, सेंधा नमक, घावड़ा के फूल, तथा लोध मिलाकर मन्दी आग पर पकायें। जब दूध और दवायें जल जाँय तथा घृत शेष रह जाय, तब उसे आग से उतार कर नीचे रक्खें तथा मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित करके नित्य १ तोला घृत उसमें से खाते रहें। इससे विद्या-बुद्धि की अत्यन्त वृद्धि होगी।
__ यदि उक्त मन्त्र को नित्य १००० की संख्या में जपता रहे, तब तो विद्या-बुद्धि की वृद्धि के विपय में कहना ही क्या है।
टिप्पणी
यदि घृत तैयार न कर सके तो मालकांगनी के तेल को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके स्वल्प मात्रा में सेवन करना चाहिए।
बुद्धि-बर्द्धक मन्त्र
..
..
.
मन्त्र- 'ॐ नमो ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वद पद वग्वादिनी बुद्धिद्धिनी
ह्रीं नमः स्वाहा ।"
For Private And Personal Use Only