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शावर तन्त्र शास्त्र | १८१
प्रयोग-विधि
शत्र के दाँये पांव के नीचे की मिट्टी लाकर, उसे सात करेलों में भर कर उन्हें धागे में पिरोकर अग्नि में तपावे तथा प्रत्येक करेले पर ७. बार मन्त्र पढ़ें तो शत्रु के शरीर में पीड़ा होती है ।
दाद का मन्त्र (१)
मन्त्र—"ॐ गुरुभ्यो नमः दंव दंन पूरी दिशा मेरुनाथ दलक्षनामरे
विशाहतो राजा बैरीघन आज्ञा राज वासुकी के आन
हाथ वेगे चलाव ।" साधन-विधि
___ ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
इस मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित जल रोगी को पिलाने से दाद की बीमारी दूर हो जाती है।
दाद का मन्त्र (२)
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मन्त्र --"हाथ बेगे चलाइ अदिनाय पवनपूत हनिवन्त कर मोर
कतमेरुचाल मन्दिर चाल नवग्रह चाल दोष चाल पिनाइचाल डोरी चाल इन्द्रहि चाल चालर चाल हतन्त बिना सहकाल उठि विषितरुवरचाल हम हनुमन्ते मुगरे लिंडापरोरी वर्धछले तरुपरिधान परिहि यब अष्टोत्तरशत
व्याधि लावरे विशालाव अहरोविश आहे।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार ।
दाद का मन्त्र (३)
मन्त्र- 'ॐ ककराके नास्यकोन अव अगनित अमुका के हर्ष न
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