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१८२ | शावर तन्त्र शास्त्र
होय रक्ता पीता स्वेता जावत जीवती हर्ष शत तावत प्रकाशं ब्रह्महत्याप्राप्नोति ब्रह्मणे नमः रुद्राय नमः अग
स्त्याय नमः । साधन एवं प्रयोग-विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार। टिप्पणी
___ इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहां रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए।
दाद का मन्त्र (४)
मन्त्र-"विष के पावरि विष कै मानि। विष करिय भादिउ - जानि । एकम जाइ दादुकरि अ अमुका अंगेक सकंडु दादु
दिनाइ के छेद करि सिद्ध गुरु की जाव शरण ।" टिप्पणो
इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहाँ रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन तथा प्रयोग-विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार ।
कठबेगुची का मन्त्र
मंत्रा- “सोने के सिंधोरा रूपे लागबान छवमास के मुअलिमे
ग्वीलागसिन जिसघरुवरुआके कान धरुवरुआ मन्त्र तुहहि जगावै नोता योगिनि श्री पार्वती जागु जागु उपरवैशे
होइत।" साधन-विधि
ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है।
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