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विधि
मन्त्र
विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार ।
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अग्नि स्तम्भन मन्त्र (४)
मन्त्र संख्या १ के
मन्त्र
“ॐ नमो जल बाँधू जलवाई बाँधू नर्स गाँव का वोर बुलाऊं रहो रहो रे कड़ाही । जती
बाँधू तूवा ताई,
हनुमन्त की दुहाई ।”
अनुसार 1
अग्नि बुझाने का मन्त्र
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शावर तन्त्र शास्त्र | १९३
मन्त्र ----"हिमाचलस्योत्तरे पार्श्वे मारीचो नाम मूत्र पुरोषाभ्यां हुताश स्तम्भयानि स्वाहा । "
विधि
इस मन्त्र द्वारा जल को ७ बार अभिमन्त्रित करके उसे अग्नि में डालें तो अग्नि बुझ जाती है ।
अग्नि- मुक्तारन मन्त्र
राक्षसाः । तस्य
मन्त्र - " अग्नि भवते के भवे जशमदमती परंपिण्ड दुःख पावै दोहाई नरसिंह जग दुःख पावे ।”
विधि -
इस मन्त्रको ७ बार पढ़ने से बाँधी गई अग्नि का बन्धन छूट जाता जाता है और वह पुन: जलने लगती है ।
पूंगी (तुरही) बांधने का मन्त्र
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- ॐ वादी आया वादन करता बैठा बड़ पीपर की छाया, रह रे वादी वाद न कीजे बांधू तेरा कण्ठ अरु काया,