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१८४ | शावर तन्त्र शास्त्र विधि
उक्त मन्त्र से झाड़ा देकर, सवा तीन माशे चांदी की अंगूठो पांव के अँगूठे में पहना देने से धरन ठिकाने पर आ जाती है।
धरन ठिकाने आने का मंत्र (१)
मन्त्र-“ॐ नमो नाडी नाडी नौ से बहत्तर सो कोस चल
अनाडी डिगे न कोण चले न नाडी रक्षा करे जती हनुमन्त की आन मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र
ईश्वरोवाचा।" विधि
कच्चे सूत के धागे में गांठें लगा कर उसे छल्ले की भांति बना लें। फिर उसे रोगी की नाभि पर रखकर उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़ते हुए नाभि के ऊपर फूक मारने से धरन ठिकाने पर आ जाती है।
कखलाई का मन्त्र
मन्त्र-“ॐ नमो कखलाई भरी तलाई जहाँ बैठा हनुमन्त आई
पसे न फूट चले न पीड़ा रक्षा करे हनुमन्त वीर दुहाई गुरु गोरखनाथ का शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र
ईश्वरोवाचा सत्य नाम आदेश गुरु को।" विधि
२१ बार मन्त्र पढ़कर नीम की डाली से झाड़ा देने तथा कखलाई वाले स्थान पर पृथ्वी की मिट्टी लगा देने से वह दो-तीन दिन में बैठ जाती है।
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