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विविध कार्य-साधक मन्त्र
विविध कार्यों के विषय में
सभी कार्य मन्त्र-प्रयोग द्वारा निष्पादित नहीं होते, तथापि कुछ अवसरों पर मन्त्र-प्रयोग विविध कार्यों की सम्पन्नता में साधक सिद्ध होते हैं।
प्राचीन काल में धनुष-वाण, तीर, तोप, ढाल-तलवार आदि से लड़ाइयाँ हुआ करती थीं, उस समय इन शस्त्रास्त्रों के प्रहार से बचने तथा. इनका निशाना चूका देने अथवा धार को कुण्ठित करने हेतू मन्त्र प्रयोग का प्रचलन था। परन्तु वर्तमान काल में युद्ध का स्वरूप ही बदल गया है। अब युद्ध में मशीनगन, टैंक और बमों का प्रयोग होता है, अतः धनुष, तलवार आदि के अवरोधन-मन्त्र अनुपयोगी कहे जा सकते हैं, तथापि व्यक्तिगत झगड़ों के समय यदि तीर-तलवारादि का उपयोग किया जा रहा हो तो इन मन्त्रों का प्रयोग प्रभावकारी सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रकरण में शस्त्रास्त्र-स्तम्भन सम्बन्धी प्रयोगों का उल्लेख किया गया है।
शूकर, मूषक, टिड्डी आदि को भगाने, कुश्ती जीतने, बाघ, सर्पादि हिंसक जीवों को मार्ग से हटाने आदि की आवश्यकता किसी समय भी पड़ सकती है, अतः इनसे सम्बन्धित प्रयोग तथा विभिन्न प्रकार के चेटक दिखाने सम्बन्धी प्रयोग भी इस प्रकरण में संकलित किये गये हैं। समुचित सिद्धि के पश्चात् इन मन्त्रों का प्रयोग हितकर सिर हो सकता है।
शस्त्र की धार बांधने का मंत्र (१)
निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी भी एक मन्त्र द्वारा ७ बार मिट्टी को अभिमन्त्रित कर शरीर पर लगाने से शस्त्र की धार बंध जाती है अर्थात् किसी शस्त्र की धार शरीर पर चोट नहीं कर पाती।
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