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धनुबन्धन मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से धनुष बँध जाता है अर्थात् उससे तीर
नहीं छूटता ।
शावर तन्त्र शास्त्र । १८६
मन्त्र- "ॐ सार सार माहासारसो बांधौ तीनि धार न धरै चोट न परं घाव रक्षा करे श्री गोरखराउ ।"
बन्धन का मिश्रित मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से अनेक वस्तुओं का बन्धन होता हैमन्त्र - "गोरख चले विदेश कहँ सातो देहे बांधि से पाँचों चोरविग यथा गोरखनाथ की दुहाई जौं काहु सतावै । " सुई छेदने का मन्त्र
मन्त्र -- ॐ नमो चण्डप चूर्न लोहासार लोहा का पत्र घड़े लुहार मोढ़ माड़ कर की या पानी जारे लोहा भस्म हुलारी रामवीर तोलावे मांटी लछमन वीर मूँदो घाव पाच फूटें पीड़ा करे, तो महावीर रक्षा करे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।"
मन्त्र
प्रयोग-विधि
विभूति ( भस्म ) को इस मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके सुई को अभिमन्त्रित करे, फिर उसे गाल में छेदे तो पीड़ा न हो ।
सुई छेदने का मन्त्र (२)
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- "धार-धार महाधार धार बांधू सात बार अणी बाँधू तीन बार मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोहवाचा दुई गुरू गोरखनाथ की छु ।"
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