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१८८ | शावर तन्त्र शास्त्र
मन्त्र
मन्त्र
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- "ॐ चौंसठ जोगनी बावन वीर छप्पन भैरू सत्तर वीर आय बैठा ढाल के तीर हालीहले न चाली चले वादी वाद शत्रु सों मेले या ढाल ले चले तो जाहर पीर की दुहाई फिरे, शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।"
प्रयोग विधि
ढाल रोपने का मन्त्र ( २ )
- ॐ काली देवी किलकिला भैरू चौंसठ जोगनी बावन बीर, तांबा का पैसा वज्र की लाठी मेरा कीला चले न साथी ऊपर हनुमन्त वीर गाजे मेरा कीला पैसा चले तो गुरु गोरखनाथ लाजे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।"
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मन्त्र संख्या १ के अनुसार ।
पहुँचा छेदने का मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर बकरे को मारें तो उसे घाव नहीं
लगेगा
मन्त्र -- "काले तील कवेला तील गुजरी बैठी वीर प्रसारै सुई न बेधे माधाइ पीर न आवैं काली करुइमती भारी दुष्य तिबुकीलार अवनी बांधौ सुई अषषांडे की धार आवै न लोहू न फुटै घाव रक्षा करें श्री गोरखराउ ।”
गागर छेदने का मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से गागर में छेद नहीं होता ।
मन्त्र -- “ नीरा धार बांधौ लक्षवार न बहै घाउ न फूट धार रक्षा
करे श्री गोरखराउ ।"
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