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शावर तन्त्र शास्त्र ! १८७
अर्थात् पृथ्वी की धूलि में लोट जाने से शस्त्रास्त्र का स्तम्भन होता है अर्थात्
शस्त्रास्त्र की चोट नहीं लगती ।
मा
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-"बांधो तूपक अवनि वार न धरै चोट न परै घाउ करें श्री गोरखराउ ।”
तोप बाँधने का मन्त्र
मन्त्र- “ॐ नमो आदेश गुरू को जल बांधू जलवाई बांधू बाँधू ताखी ताई, सवा लाख अहेडी बांधू गोली चले तो हनुमन्त जतो की दुहाई, शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । "
प्रयोग विधि---
एक घड़ा गाय के दूध को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके तोप के मुँह पर मारे तो उससे गोला न निकले ।
तलवार बांधने का मंत्र
मन्त्र – “ ॐ धार धार अधर धार धार, बाँधू सात बार कटे न रोम ना भीजे चीर, खांड़ा की धार ले गयो हनुमन्त वीर, शब्द सांचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।"
प्रयोग विधि
उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित मिट्टी को अपने शरीर पर लगा कर युद्ध करें तो दुश्मन की तलवार की धार से चोट न लगे ।
ढाल रोपने का मन्त्र (१)
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निम्नलिखित में से पहले मन्त्र को ककड़ी पर तथा दूसरे को ताँबे से पैसे पर ७ बार पढ़कर उसे ढाल पर मारने से ढाल का स्तम्भन हो जाता है
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