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१८० ! शावर तन्त्र शास्त्र
सीर बाँधे हनुमन्त वीर पाके न फूटे तुरत सूखे शब्द
साँचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि
गृहण के दिन अथवा होली, दिवाली को १०००८ की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
उक्त मन्त्र से विभूति (भस्म) को ७ बार अभिमन्त्रित कर रोगी की नाक पर लगाने से, नाक से खून बहना बन्द हो जाता है ।
घाव भरने का मन्त्र
मन्त्र-“सार सार विजैसार सार बांधू सात बार, फूटे अन न
उपजे घाव, सार राखे श्री गोरखनाथ ।" साधन-विधि
पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि
___इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर घाव पर फूक मारने से पीड़ा नहीं होती तथा घाव शीघ्र भरने लगता है।
पीड़ा कारक मन्ग
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मन्त्र-ॐ ह्री श्रौं 'क्लीं' त्रपुर वहरू त्रपुर वीर मम शत्रू
अमुकस्य पीड़ां कुरु कुरु स्वाहा।" टिप्पणी
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहां अपने शत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि
पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार।
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