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साधन-विधि
जाता है ।
प्रयोग-विधि
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ग्रहण अथवा दीवाली को रात में १००८ बार जपने से मन्त्र सिद्ध हो
पूर्व मन्त्रानुसार । प्रयोग विधि
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उक्त मन्त्र से पानी को ३ बार अभिमन्त्रित कर, उस अभिमन्त्रित पानी द्वारा आबदस्त लें । प्रतिदिन ऐसा करते रहने से थोड़े ही दिनों में खूनो बादी बवासीर दूर हो जाती है । बवासीर का मन्त्रा (२)
शावर तन्त्र शास्त्र | १७५.
मन्त्र----" ईसा ईसा ईसा कांच कपूर के सीसा, यह अक्षर जाने नहीं कोय, खूनी बादी एक न होय, दुहाई तख्त सुलेमान बादशाह की ।"
साधन-विधि -
इस मन्त्र को ३ बार पढ़ कर पानी को अभिमन्त्रित करें और उसी पानी से आब-दस्त लें । फिर पाखाने के हाथ धोकर मस्सों को हाथ से पकड़ तथा थोड़े से पानी को अभिमन्त्रित कर उसे स्वयं पीलें तो कुछ ही दिनों में बवासीर दूर हो जाती है ।
अन्न पचाने का मन्त्रा (१)
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मन्त्र - " अगस्त्यं कुंभकर्णं च सम च बडवानलं । आहार पाचनार्थाय स्मरेत् भीमस्य पंचकम् ।"
प्रयोग-विधि
भोजन करने के बाद इस मन्त्र को पढ़ते हुए ७ बार अपने पेट पर हाथ फेरने से खाया हुआ भोजन पच जाता है ।
अन्न पचाने का मन्त्र (२)
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मन्त्र----‘“अज्र हाथ वज्र हाथ भस्म करे सब पेट का भात, दुहाई हजरत शाह कुतुब आलम पंडवा की ।"