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१७६ / शावर तन्त्र शास्त्र
प्रयोग-विधि
इस मन्त्र को हाथ पर ११ बार पढ़ कर उसे पेट पर फेरे तो अन्न पचे एवं गिरानी मिटे।
पसली का मन्त्र
मन्त्र-"समन्दर के किनारे सुरह गाय सुरह गाय के पेट में बच्छा,
बच्छा के पेट में कलेजा, कलेजा के पेट में डबडब कटे
सरवडे दुहाई लोना चमारी की।" साधन-विधि
होली, दीवाली अथवा ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १४३ बार पढ़ कर. लोबान की धूप जलाने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
सिरकी की एक लकड़ी तथा ७ कोरी सींकों के ७७ अंगुल टुकड़े नापकर काट लें । फिर उनसे ७ बार मन्त्र पढ़कर रोगी को झाड़ा दें। दोनों वस्तुओं से झाड़ा देने पर दोनों वस्तुएँ बढ़ती जायेंगी और जब रोग मिट जायेगा, तब वे ज्यों की त्यों हो जायेंगी। बच्चों की पसली चलने पर यह प्रयोग करना चाहिए
रोंघनवाय का मन्त्र
मन्त्र---"कामहदेस कामाख्या देवी जहाँ बसे इस्माइल जोगी,
इस्माइल जोगी के तीन पुत्री, एक तोडे, एक पिछोड़े, एक करेखन वाय को तोड़े शब्द सांचा पिण्ड काँचा फुरो
मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि
पूर्व मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि
मनिहार के मोगरा से उक्त मन्त्र पढ़ते हुए झाड़ा देने पर रीघनवा य में लाभ होता है।
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