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१६६ | शावर तन्त्र शास्त्र
धीनही का मन्त्र
मन्त्र-“एहर चालो मेहर चालो लंका छोड़ि विभीषण चालो ।
बेगि चलि मन्त्र सहि ।" साधन-विधि
___ ग्रहण के समय १००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि२१ बार मन्त्र पढ़ कर झाड़ा दें।
अण्ड-वद्धि का मन्त्र
मन्त्र-“ॐ नमो आदेश गुरु को जैसे के लेहु रामचन्द्र कबून
ओसइ करहु राध बिनि कबूत पवनपूत हनुमन्त धाउ हर हर रावन कूट मिरावन श्रवइ अण्ड खेतहि श्रवइ अण्ड अण्ड विहण्ड खेतहि श्रवइ वाजंगर्भहि श्रवइ स्त्री सीलहि
श्रवइ शाप हर हर जंबीर हर जंबीर हर हर हर ।" साधन विधि
ग्रहण, दीपावली की रात्रि अथवा सिद्धि योग में १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयग-विधि
इस मन्त्र को पढ़-पढ़ कर अण्ड कोषों पर फूकमारे तथा उन्हें मले तो अण्ड वृद्धि से छुटकारा मिलता है। विशेष
यह मन्त्र चार वस्तुओं पर चलता है
(१) इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित जल पुरुष को पिलाया जाय तो उसे अण्ड वृद्धि से छुटकारा मिले।
(२) इस मन्त्र से अभिमन्त्रित जल यदि दो-तीन मास की गर्भवती स्त्री को पिलाया जाय तो उसका गर्भ गिर जाता है।
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