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शावर तन्त्र मात्रा १६
प्रयोग विधि
सर्वप्रथम इस मन्त्र को किसी ग्रहण के दिन अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय दाढ़ की फुन्सी पर हाथ फेरते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करते जाँय तो दाढ़ की फुन्सो, सूजन आदि पीड़ाएं दूर होती हैं। विशेष
इस मन्त्र का प्रयोग अन्य स्थानों की फुन्सी, गूमड़ी आदि पर भी किया जाता है।
दाढ़ के कष्ट का मन्त्र
मन्त्र--"ॐ नमो आचाय ननाय स्वाहा ।" प्रयोग-विधि --
____ सर्व प्रथम इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को कागज पर लिख कर, एक लोहे की कील को मन्त्र में उल्लिखित 'य' कार अक्षर पर माढ़ दें। तत्पश्चात् जिस मनुष्य की दाढ़ दुखती हो तो उसे कहें कि यदि तुम्हारी दाई ओर की दाढ़ दुखती हो तो उसे बांये हाथ को अंगुली और अँगूठे से पकड़ लो ओर यदि बाँई दाढ़ दुखती हो तो दाये हाथ की अंगुली
और अँगुठे से पकड़ लो । जब वह ऐसा कर चुके, तब इस मन्त्र को ७ बार पढ़ कर उस लोहे की कील को किसी काठ में ठोक दें तथा रोगी से कहें कि वह जमीन पर थूक दें। इस क्रिया को ६ बार दुहराने से दाढ़ का दर्द दूर हो जाता है।
दुखती आंख का मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ नमो झलमल जाहर भरी तलाई जहाँ बैठा हनुमन्ता
आई फूटे न पाले न करे न पीड़ा जती हनुमन्त राखे
हीडा।" प्रयोग-विधि
पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण के समय १०.०० को संख्या में जप
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