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शावर तन्त्र शास्त्र | १६७ (३) इस मन्त्र को एक ढेले पर पढ़कर उसे सर्प की बॉमी पर रख दिया जाय तो सर्प वहाँ से भाग जाता है।
(४) तीन-चार दिन के बोये हुए खेत में यदि इस मन्त्र से अभिमन्त्रित तीन डेलों को पढ़कर उसके तीन कौनों में डाल दिया जाय तो खेत सूख जाता है।
दाढ की पीडा का मन्त्र
मन्त्र --"ॐ नमो आदेश गुरु को नौ लाख कांवरु एक बार जहाँ
बैठे ग्वाल बाल । गंगा जमुना सरस्वती जहाँ बैठे गोरखजती । गौतम ऋषि सूरवर परवत तें आई कामधेन छत्तीस रोग टलें आधो दीनों पृथ्वी आधो राखो वाय भौंरा पा ही रणटिया मिगत पासु वटियाम दौड़ रक्षा करे श्री रामचन्द्र हनुमन्त वीर हाल भाव रोग दोष जाय पराई सींव गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र
ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग-विधि
सर्वप्रथम किसो ग्रहण के समय इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय अक्षत-पानी को २१ बार इसो मन्त्र से अभिमन्त्रित कर गांव के निकास-मार्ग पर जा लेटे। वहाँ डाढ को निकालता जाय और पानी के छींटा देता जाय तो डाढ़ को पीड़ा दूर होगी।
दाढ़ के पीड़ा का मन्त्र (१)
मन्त्र--"सवारा में सीसी सीसी, में माची माची, में कीड़ा कीड़ा
में पीड़ा, कोड़ा मरे पीड़ा टरे । शब्द साँचा पिण्ड काँचा
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" प्रयोग-विधि----
पहले ग्रहण पर्व में मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर ले । प्रयोग के समय मन्त्र पढ़ते हुए दो लोहे की कीलों ने चाकें। फिर
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