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शावर तन्त्र शास्त्र | १७१ सिर-दर्द का मंत्र (२)
मन्त्र-"सुरगाय के गर्भ में उपजा बच्छा बच्छे के पेट में कच्छा
कच्छे के पेट में उपजा कालजा कालजा कट मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा महादेव की आज्ञा
फुरो।" प्रयोग-विधि
पहले ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १०००० को संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को ११ बार पढ़ कर रोगी के सिर में झाड़ा देने से सिर-दर्द दूर हो जाता है।
आधा शीशी का मन्त्र (१)
मन्त्र-“वन में जाई बंदरो जो आधा फल खाइ । खडे मुहफद
हांक दें आधा शीशी जाइ।" साधन-विधि
पहले ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को केवल १०१ बार जप करने से भी यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है ।
जिस रोगी के आधे सिर में दर्द होता हो, उसके सिर पर.३ बार यह मन्त्र पढ़ कर फूक मारने से दर्द दूर हो जाता है।
आधा शीशी का मन्त्र (२)
मन्त्र-काली चिड़िया किलकिली काले बन फल खाइ । खड़े
मुहम्मदशाह आँक दें आधा शीशी जाय ।" साधन-विधि
किसी ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। विशेष
यह पूर्वोक्त मन्त्र का ही कुछ भिन्न स्वरूप है।
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