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१६२ / शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र-"औं पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण चारिका सर्ग पाताल
आंगन द्वार मंझार खाट बिछौना गडई सोवनार सागलन औ जेवनार विरा सोंधावे फुलेल लवंवेग सोपारी जे मुंह तेल अवटन उवटन औ अवनहान पहिरणलहँगा सारी जान डोरा चोलिया चादरि झीनमोट रूइ ओढ़न झीन शंकर गौरा क्षेत्रपाला पहिले झारो बारम्बार काजर तिलक लिलार आँखि नाक कान कपार मह चोटी कण्ठ अवकष काँध बाँह हाथ गोड अंगुरी नख धुकधुकी अस्थल नाभी पेट नीचे जोनि चरणि कत भेटी पीठि करि दाब जांघ पेडुरी घूठी पावतर ऊपर अंगुरा चाम रक्त माँस डाँड गुदो धातु जो नहीं छाडु अन्तरी कोठरी करेज पित्त ही पित्त जिय प्राण सब बित बात अंक मने जागु बड़े नरसिंह कि आनु कबहुन लागु फाँस पित्तर राँग काँच लोह रूप सोन साच पार पट वशन रोग जोग कारण दोशन डीठि मूठि टोना थापक नवनाथ चौरासी सिद्ध के सराप डाइनि योगिनी चुरइलि भूत व्याधि परिअर जेजुत भनै गोरख बैन साच प्रगट रे बिलउकाली और भैरव की हाँक फुरो ईश्वरोवाच ।”
डाकिनी को नजर दूर करने का मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र को १०८ बार पढ़-पढ़कर झाड़ा देने से डाकिनी की नजर का दोष दूर होता है। डाकिनी की नजर प्रायः छोटे बच्चों को लगा करती है। मन्त्र---"ॐ नमो नारसिंह पाईहार भस्मना योगनी बंध डाकनी
बध चौरासी दोष बंध अष्टोत्तरशत व्याधी बंध खेदी खेदी भेदी भेदी मारे मारे सोखे सोखे ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल नारसिंह वीर की शक्ति फुरो।"
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