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शावर तन्त्र शास्त्र | १४३
ममरषा झाड़ने का मन्ग
मन्त्र--"राजा अजयपाल सागर खतवारा वट बांधा घाट उतई
ममरषी पानि पिउ सात राति मोहि पीपरपात गुंगी बौरी डोमिनी चंडालिनी तू है नीकी ममरषी तिल एक
रथ ठाठि कण्ठ झारि ममरषी क्रोध करु ।" साधन-विधि
ग्रहण पर्व में १००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध होता है। प्रयोग विधिइस मन्त्र को २१ बार पढ़-पढ़ कर फूक मारनी चाहिए ।
हक झाड़ने का मंत्र (४)
मन्त्र (१)-"ॐ सुमेरु पर्वत पर नोना चमारो सोने की रांपी
सोने की सुतारी हूक चूक वाह बिलारी धरणी नालि काटि कूटि समुद्र खारी बहावौ नौना चमारी
की दुहाई पुरो मंत्र ईश्वरोवाच ।" । साधन-विधि
ग्रहण के समय अथवा दीवाली की रात में १००० की संख्या में जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि-- इस मन्त्र को २१ बार पढ़ कर फूक मारने से शरीर हूक नहीं रहती।
हूक-झाड़ने का मन्त्रा (२)
मन्त्र—''मेघडंबर पोतरहड़ी तातो शरीर गरोगै जाती दोहाई
अजैपालक जोन जाय बाँधि।" साधन एवं प्रयोग विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार ।
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