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शावर तन्त्र शास्त्र | १५६
ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्रा (१)
निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक को पढ़कर ज्वर-ग्रस्त व्यक्ति को झाड़ा देने से उसका ज्वर दूर हो जाता है। मन्त्र-“ॐ नमो अजैपाल की दुहाई जो ज्वर रहे तो महादेव .की दुहाई फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" प्रयोग विधि
पहले इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें, फिर आवश्यकतानुसार ७ बार मन्त्र पढ़ कर रोगी को झाड़ा देना चाहिए।
ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र (२) । मन्त्र-“समुद्रस्योत्तरे कूले कुमुदो नाम वानरः । तस्य स्मरण
____ मात्रेण ज्वरो याति दिशो दश ।" प्रयोग-विधि
पहले इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़-पढ़कर कुश से झाड़ा दें तो ज्वर उतर जाता है।
ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र (३) मन्त्र-“कारी कुकरी सात पिल्ला ब्याई सातों दूध पिआई
जिआई बाघ थन इलोकांश्चलायके मन्त्रे तोनों जाइ।" प्रयोग-विधि
तीनों सध्याकाल मे इस मन्त्र को पढ़-पढ़कर रोगी के आंचल का अपने दांये हाथ से स्पर्श करें तो 'तिजारी-ज्वर' दूर हो जाता है।
ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्रा (४) मन्ग- “जटा ऊपर कारागरे ॐ नमः शिवाय शिव की आज्ञा
कागाचरे भीटे पनिनि आपरे पीठे सवा भार विष निजबडं अपने डीठे ॐ नमः शिव विआज्ञा ।
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