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१४६ | शावर तन्त्र शास्त्र
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बिच्छू - विष झाड़ने का मंत्र ( १ )
मन्त्र – “ ॐ नमो सुरे गाय परवत नाय सुरे चरे सूको बंबूल सूल गाय गोबर कियो जिहि में उपजा बीछू सात कालो कंकाल वालो सांप अपनी वालो हरो लीलो पीलो उतरे तो उतार नहीं तो मोर कंठ कूँ धरि हकारू शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।"
साधन-विधि-
ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि
जूती से अथवा नीम की डाली से ७ बार झाड़ा देने से बिच्छू का जहर उतर जाता है ।
बिच्छू विष झाड़ने का मंत्र (२)
मन्त्र
- "ॐ नमो आदेश गुरू को क्यों रे बीछू तें को काट्यो गौद गिरी मुख चाख्यो में काठाने पानी प्याऊं का क्यों उतर जाय उतरे तो उतारू चढ़े तो उतारूं चढ़े तो मारु नातर गरुड मोर हंकारू लंका सा कोट समुद्र सो खाई उतर रे बील जती हनुमंत की दुहाई शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा । "
साधन-विधि -
ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है ।
प्रयोग-विधि
इस मन्त्र द्वारा पानी को ७ बार अभिमन्त्रित करके उसे पृथ्वी पर गिरा देने से बिच्छू का विष उतर जाता है ।
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