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शावर तन्त्र शास्त्र | १४५
सर्व-विष झाड़ने का मन्त्रा (१)
मन्त्र--(१) "उत्तर दिशि कारी बादरि तेहि मध्य ठाढ़ काल
पुरुष एक हाथ चक्र एक हाथ गदा चक्र मारा शतखंड जाइ गदा मारे सातों पाताल जाइ ॐ हर-हर
निविष शिवाज्ञा।" साधन विधि
ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो, उसको इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए मोर पंख द्वारा झारा दने से सर्प का विष उतर जाता है ।
सर्प-विष झाडने का मन्त्रा (२)
मन्ना-"थिरुपवन जेहि विष नाशे तेहि देखि विषधरहू कांपे
सत्पर्जा आष विषमो संदीषष्ठय नहिं विषइ मंत्रे कुशल
बालुगाले झावित्काल निर्विश होइ ।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार।
सर्प-विष झाड़ने का मंत्र (३)
मंत्र-"नृसिंह भरी के वचनः वै जी हो नीरंतर नार।" साधन-विधि
मता संख्या १ के अनुसार। प्रयोग विधि
तीन चुल्लू पानी उक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर सर्प दंशित व्यक्ति को पिलायें तथा उसके माथे में तीन टोना मारें तो सर्प का विष उतर जाता है।
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