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१५४ | शावर तन्त्र शास्त्र
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आँख झाड़ने का मन्त्र
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मन्त्र - - " सप्पति च सुकन्यां च च्यवनं शक्रमन्वितौ । स्मरणान्नृणां नेत्र रोगो प्रणश्यति । "
एतेषां प्रयोग-विधि
पहले किसी ग्रहण पर्व में इस मन्त्र को १०००० को संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता के समय रोगी की आँखों पर इसी मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमन्त्रित जल के ७ छींटे मारे तो नेत्र रोग दूर होते हैं । उठी ( दुखती हुई ) आँख झाड़ने का मन्त्र
मन्त्र ---- "ॐ बने बिआई बानरी जहाँ जहाँ हनिवन्त आँखि पीड़ा कषावरी गिहिया थनैलाइ चारिउ जाइ भस्मन्त । गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्बरोवाचा ।" प्रयोग-विधि
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पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता के समय रोगी की आँख पर हाथ फेरते हुए इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर फूंक मारें तो पीड़ा तथा व्यथा दूर हो | विशेष
इस मन्त्र का प्रयोग कख़ावरी (काँख में उठने वाली गिल्टी), गिरिणा थाना की पीड़ा दूर करने के लिए भी किया जाता है । रतौंधी झाड़ने का मन्त्रा
मन्त्र---" भाट भाटिनि सरि चली कहां जाइव जावेउ समुद्र पार । भाटिनि कहा मैं बिआवेऊ कुश की छाली बिआवे उपसमा छीकर मुड़ा अण्डा घोसों हिलतारा सोहिल तारा राजा अजैपाल ऊतर तर है राजा अजैपाल करकेदार पाना भरत रहै उन्हें देखें पावा वालाउ गोडिया मला उजाल के मैं अधोखी ईश्वर महादेव की दोहाई मेरी घरी उतरि जाइ ।"
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