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१२८ } शावर तन्त्र शास्त्र
महादेव गुरू गोरखनाथ जती हनुमन्त वीर लाजें मेरी
भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । टिप्पणी
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ गर्भवती-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग विधि
मन्त्र संख्या ४ के अनुसार अथवा एक ही डोरे में दोनों मन्त्रों को पढ़कर गर्भवती की कमर में बाँधे ।
गर्भ-रक्षा मन्त्र (६)
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मन्त्र--"ॐ नमो आदेश गुरू को जभीर वीर परधान हर अठो
तर से गर्भ ही ताण तणे पाचे न फूट न पीड़ा करे तो जभीर वीर की आज्ञा फुरो गुरू की शक्ति मेरी भक्ति
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" 'प्रयोग-विधि
.६ क्वारी कन्याओं से रविवार के दिन सूत कतवा कर ६ तार का डोरा गर्भवती-स्त्री की एड़ी से चोटी तक नाप के, उसमें मन्त्र से अभिमन्त्रित कर ह गांठ बांधे तथा उसे गूगल की धूनी देकर गर्भवती स्त्री की कमर से बांध दें। इसके प्रभाव से ३ दिन के भीतर ही गर्भस्राव, पैर कटना आदि अलक्षण दूर हो जाते हैं तथा गर्भ स्थिर बना रहता है। प्रसव के समय डोरा खोल देना चाहिए।
सुख-प्रसव का मन्त्र
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मन्त्र---"ॐ श्रावणो बंचगी च सुखमेव प्रसूयते ।" प्रयोग-विधि
इस मन्त्र द्वारा पानी को ७ बार अभिमन्त्रित कर, वह पानी प्रसूतिका को पिला देने से प्रसव शीघ्र तथा सुखपूर्वक होता है।
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