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शावर तन्त्र शास्त्र | १२७
गर्भ-रक्षा मन्त्र (४)
मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को ॐ बाबा अङ्ग ते बांधि राख
नृसिंह जती सीस तें बाँधि राख श्री गोरखनाथ कांखतें बांधि राख हयूली का राजा मूडी ते बांधि राख तूडासन देवी यह मन पवन काया को राख थांभे गर्भ और बांधे घाव थांभे माता पारवती गंडो बांधे ईश्वरजती जब लग गंडो कट पर रहै तब लग गर्भ काया में रहे गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फूरो मन्त्र ईश्वरो
वाचा ।" प्रयोग-विधि
__ क्वारी-कन्या के हाथ से काते हुए सूत द्वारा गर्भवती स्त्री के शरीर की एड़ी से चोटी तक ७ बार नाप कर उसकी ७ लड़ बनायें फिर ७ बार मन्त्र का उच्चारण करते हुए उसमें ७ गांठ लगायें, तदुपरान्त उसे गर्भवती स्त्री की कमर में बांध दें । जब 6 महीने पूरे हो जाय, तब उसे खोल दे । कमर में बाँधने से पूर्व गण्डे की गूगल की धूनी देनी चाहिए तथा फूल चढ़ाने चाहिए । साथ ही सवा पाव मिठाई बच्चों को खिलाये । जब तक यह गण्डा बँधा रहेगा, तब तक गर्भ स्थिर रहेगा। प्रसव का समय समीप आने पर ही इसे खोलना चाहिए।
गर्भ-रक्षा मन्त्र (५)
मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को हनुमंत वीर गंभीर धूजे धरती
बंधावे धीर बाँध बाँध हनुमंता. वीर मास एक बाँधू, मास दोइ बांधू, मास तीन बाँधू, मास चार बाँधू, मास पाँच बाँधू, मास छै: बाँधू', मास सात बाँधू, मास आठ बाँधू, मास नौ बांधू, अमुकी. को गर्भ गिरे नहीं ठांह को ठांह रहे, ठांह को ठांह न रहे मेरा बाँधा बंध छूटे तो ईश्वर
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