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१३६ / शावर तन्त्र शास्त्र
प्रेत-विमोचन यन्त्र
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नीचे प्रदर्शित यन्त्र को कागज के ऊपर स्याही से लिखें । फिर उसे रूई में लपेट कर, घी में भिगो लें। तदुपरान्त एक बालिश्त चौकोर पृथ्वी को गोबर से लीप कर उस चौके में उक्त बत्ती का दीपक जलायें तथा जिस रोगी व्यक्ति पर प्रेत चढ़ा हो, उसे सामने बैठाकर दीपक को बुझा दें। फिर उसे दिखा कर दीपक को पुनः जला दें। तात्पर्य यह कि दीपक को बुझाते तथा जलाते समय प्रेत ग्रस्त व्यक्ति की दृष्टि दीपक की ओर रहनी चाहिए। ऐसा करने से प्रेत छोड़ कर भाग जाता है।
यदि पुरुष को प्रेत चढ़ा हो तो यन्त्र के ऊपरी भाग में स्त्री का नाम तथा नीचे पुरुष का लिखना चाहिए और यदि स्त्री को प्रेत चढ़ा हो तो ऊपर पुरुष का नाम और नीचे स्त्री का नाम लिखना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि पुरुष को लगा प्रेत यदि स्त्री हो तो उस रोगी पुरुष का नाम नीचे और प्रेतरूपिणी स्त्री का नाम ऊपर और यदि स्त्री को पुरुष प्रेत हो तो स्त्री का नाम नीचे और प्रेत पुरुष का नाम ऊपर लिखना चाहिए । इस प्रकार यन्त्र में शेष पूर्ववत् प्रयोग करके दिखाने से प्रेत भाग जाता है।
यदुः यःबुदुः यःबुदु यदुदुःया हुः ययुः पदुद्धः यः बुद्धः या पादुका
यावु दुःयाबुद्धः याब डाय:बुजन यादया यःबुदु बुलायसुचःदुःतक तथा यादुदुः याः याद यादुः मादयः यायुधः याबुदुःयावयाहुयातुः यः याबुछ
(प्रेतविमोचन यन्त्र )
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