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शावर तन्त्र शास्त्र | १३६
स्पंषाद भव समस्त दोषान् हन हन सर सर चल चल कम्प कम्प मथ मथ हुँ फट् हुँ फट् ठः ठः महारुद्र जापियत स्वाहा: । "
साधन एवं प्रयोग विधि
पूर्वोक्त मंत्र संख्या १ की भाँति इस मन्त्र को भी विधि पूर्वक सिद्ध करलें तथा नृसिंह भगवान का पूजन करें। फिर आवश्यकता के समय भूतग्रस्त रोगी को मोर के पंख से मन्त्रोच्चारण करते हुए झाड़ा देने से भूत उतर जाता है ।
मन्त्र
भूतादि को मारने का मंत्र
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-“ॐ नमो आदेश गुरूको हनुमंत वीर बजरंगी वज्रधार safeit शाकिनो भूत प्रेत जिंद खईस को ठोक ठोक मार मार नहीं मारे तो निरंजन निराकार की दुहाई ।" साधन एवं प्रयोग - विधि
शनिवार के दिन से आरम्भ करके २१ दिनों तक हनुमानजी का विधिपूर्वक पूजन करें तथा नित्य १२१ की संख्या में मन्त्र का जप करें तो यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । फिर, चौराहे की कंकड़ी अथवा उड़द को इस मन्त्र से अभिमंत्रित करके भूत-ग्रस्त रोगी के शरीर पर मारें तो भूत मर जाता है ।
भूतादि को कैद करने का मन्त्र
मन्त्र - " बंध बंध शिव बंध शिव बंध।"
प्रयोग-विधि
इस मन्त्र से अभिमंत्रित उड़द भूत ग्रस्त रोगी के ऊपर मारे तो भूत कंद हो जाता है ।
भूतादि को छोड़ने का मंत्र
मन्त्र - " या खालिसा या मुखलिस या खल्लास ख्वाजे खिजर मेहतरलयास ।"
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