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१४० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि
इस मन्त्र से अभिमन्त्रित उड़द पढ़कर मारने से भूत छूट कर भाग जाता है।
डाकिनी-शाकिनी को उतारने का मन्ता
मंत्र-“ॐ नमो हनुमानजी आया कांई कांई लाया डाकिनी
शाकिनी आन आन कुरु-कुरु स्वाहा ।" प्रयोग विधि
पहले मन्त्र को १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध करलें । फिर उल्टी चक्की का पिसा हुआ सतनजा, जो रोगी की माता ने पीसा हो, को लेकर एक पुतला बनायें । दूसरा पुतला रोगी की माता के लहंगे की लान का बनायें । उसे तिली के सवा पाव तेल में भिगोवे, फिर उसे तकुए में पिरोकर रोगी के ऊपर ७ बार उतार कर जलायें। फिर सिर की ओर से ३ बार मन्त्र पढ़कर, उड़द तथा पानी को पुतले पर मारते जाय । सवा पाव उड़द मंगाकर रखलें। फिर सतनजा के पुतले को थाली में खड़ा करके, थाली में पानी भरें और उस पुतले को डाकिनी जानकर उसके ऊपर जलते हए दूसरे पुतले का तल डालें। यह ध्यान रक्खें कि पानी में खड़ा हुआ सतनजे का पुतला पानी से बाहर न निकल जाय। उस पुतले पर जल्दी-जल्दी तेल की बूदें पड़ने से डाकिनी रोगी के शरीर से बाहर निकल कर हाजिर हो जायेगी तथा रोगी का रोग दूर हो जायेगा। परन्तु जब इस क्रिया को करे, उस समय डाकिनी की चोट से अपने शरीर की रक्षा का प्रबन्ध अवश्य कर लेना चाहिए। शरीर-रक्षा के जिस मंत्र का उल्लेख किया गया है, उसके द्वारा अपने शरीर की रक्षा का प्रबन्ध करना चाहिए ।
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