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१३८ शावर तन्त्र शास्त्र
पीवे, बारा बकरा वाय न धाये, तो नाहरसिंह तू दौड़ मसाणा जाय सात पांच ने मार खाय सात पांच ने चख खाइ देखू नाहरसिंह वीर तेरे मंत्र की शक्ति हाड़ा हाड़ में सू, चाम चाम में सू, नख नख में सू, रोम रोम सू, बार बार में सूअमुकी के नौ नारी बहत्तर कोठा में सो खेद को पकड़ आणि हाजिर ना करे तो माता नाहरी का चूखा दूध हराम करे, राजा रामचन्द्र की पौड़ी फाट
भै पड़े शब्द सांचा पिण्ड काचा फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ॥" साधन एवं प्रयोग विधि
पहले मन्त्र संख्या १ के अनुसार जप करके इस मन्त्र को सिद्ध कर तें। फिर काली मिर्चों को ७ बार अभिमन्त्रित करके भूत-ग्रस्त रोगी को खिलायें तो भूत बकरता है अर्थात् अपने विषय में बताता है। विशेष
इस मन्त्र में 'जहाँ अमुकी' शब्द आया है, वहाँ भूत-ग्रस्त रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए।
भूतादिक को उतारने का मन्त्र (१)
मन्त्र--- "ॐ नमो ॐ ह्रां ह्रीं ह्र, नमो भूतनायक समस्त भुवन
भूतानि साधय साध हू हू हू।" साधन एवं प्रयोग-विधि
शनिवार के दिन से आरम्भ करके नित्य ७ दिनों तक १४४ बार मन्त्र का जप करें। दीपक जला कर उसके आगे गूगल की धूनी दे तथा फूल बताशे चढ़ावें। इस विधि से जब मन्त्र सिद्ध हो जाय, तव मोर के पंख से भूत-ग्रस्त रोगी को मन्त्र पढ़ते हुए झाड़ा देने से भूत उतर जाता है।
भूतादि को उतारने का मन्त्र (२)
मन्त्र-"ॐ नमो नारसिंहाय हिरण्यकशिपु वक्ष विदारणाय त्रिभुवन
व्यापकाय भूतप्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी कीलोन्मूलनाय
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