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शावर तन्त्र शास्त्र | १२६
सुख-प्रसव का मन्त्र
नीचे प्रदर्शित यंत्र को काँसे की थाली में लिखकर गभिणी प्रसवा सन्ना-स्त्री को दिखाते रहने से सुख पूर्वक सन्तान उत्पन्न होती है तथा प्रसव के समय कोई विशेष कष्ट नहीं होता।
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(सुख-प्रसव यन्त्र) गर्भ-स्राव स्तंभन मन्त्र
मन्त्र-"ॐह्रां ह्रीं चल चलेहुः चल मलेहुँः ठः ठः ठः स्वाहा।" प्रयोग-विधि
उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित २१ गांठों वाला कच्चे सूत का डोरा गर्भवती की कमर से बाँध देने से गर्भस्राव नहीं होता।
स्त्री के पर थामने का मन्त्र
मन्त्र-"ठिम ठिम अमुकी श्रोणितं एषि एषि धूतं ह्रीं स्वाहा ।" टिप्पणी
____ इस मंत्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए।
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