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१६ , शावर तन्त्र शास्त्र
धूलि को उक्त सिद्ध मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर, सात दिनों तक नित्य शत्रु के घर में फेंकते रहने से गृह-स्वामी का उच्चाटन होता है।
विद्वेषण मन्त्र (१)
मन्त्र--(१) “ॐ नमो नारायणाय अमुके अमुकेन सह विद्वषं कुरु
कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि
. यह मन्त्र ग्रहण के दिन या दीवाली की रात में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। विशेष
प्रयोग के समय इस मन्त्र में जहाँ 'अमुके अमुकेन सह' शब्द आया है, वहाँ उन दोनों मित्रों के नाम का उच्चारण करना चाहिए, जिनमें परस्पर विद्वेषण (शत्रुता) कराना अभीष्ट हो। जैसे रामलाल का द्वारकादास के साथ विद्वेष कराना हो तो 'रामलालस्य द्वारकादासेन सह" आदि। प्रयोग-विधि
(१) एक हाथ में कौए के पंख तथा दूसरे हाथ में घुग्घू पक्षी के पंख लेकर दोनों को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, परस्पर मिलाकर, काले सूत में लपेटें। फिर उन्हें हाथ में लेकर पानी (नदी, तालाब आदि) के किनारे पहुंचकर, उक्त मन्त्र का जप करते हुए १०८ बार तर्पण करें तो दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा।
. अथवा(२) सिंह तथा हाथी के बाल लेकर, दोनों मित्रों के पाँव के नीचे की मिट्टी लें फिर तीनों वस्तुओं को एक पोटली में बांधकर उसे पृथ्वी में गाढ़ दें तथा उस स्थान के ऊपर अग्नि जलाकर उसमें चमेली के फूलों की १०८ आहुतियां मन्त्र पढ़ते हुए दें।
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