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२४ | शावर तन्त्र शास्त्र
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उच्चाटन मन्त्र (१)
मन्त्र—“ॐ नमो भगवते रुद्राय दंष्ट्राकरालाय अमुकं सपुत्र बाँध सह हन हन दह दह पच पच शीघ्र उच्चाटय उच्चाटय हुँ फट् स्वाहा ठः ठः । "
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साधन-विधि
दीपावली, होली अथवा ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है ।
विशेष
प्रयोग के समय इस मन्त्र में जहाँ " अमुक " शब्द आया है, वहाँ जिस व्यक्ति का उच्चाटन करना अभीष्ट हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए ।
प्रयोग विधि
(१) जिस स्थान पर गधा लोटा हो, वहाँ की धूलि को बांये पाँव से लायें तथा मंगलवार की दोपहरी में उसे उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में डाल दें तो उसका उच्चाटन होता है, अर्थात् वह अपना घर छोड़ कर कहीं अन्यत्र चला जाता है ।
अथवा
(२) सरसों तथा शिव - निर्माल्य ( शिव-पिण्डी पर चढ़ाई गई वस्तुओंफल-फूल मिठाई आदि को 'शिव-निर्माल्य' कहते हैं) को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता है ।
अथवा
(३) कौए के पंख को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में गाढ देने से उसका उच्चाटन होता है ।
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अथवा
(४) उल्लू की विष्ठा तथा सरसों का चूर्ण करके, उसे उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर, जिस व्यक्ति के सिर पर डाला जाता है, उसका उच्चाटन होता है ।
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