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शावर तन्त्र शास्त्र | १२३
साधन एवं प्रयोग-विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार।
वन्दी-मोक्ष मन्त्र (४)
मन्त्र--"ॐ नमोस्तुते भगवते पार्श्वचन्द्राधरेन्द्र पद्मावती सहि
ताय मेऽभीष्ट सिद्धि दुष्टग्रहं भस्म भक्ष्यं स्वाहा स्वामी प्रसादे कुरु कुरु स्वाहा हिलि हिलि मातंगिनि स्वाहा
स्वामी प्रसादे कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार।
वन्दी-मोक्ष मन्त्र (५)
मन्त्र—"बाघ वाहिनि सिंहेया काली काली कालाम्बी आजा देवी
मैं तोरी शरणे वने नाही विशस तोहि देवी त्रिभुवन रे माप चौषष्टि बन्धन काटार भांगी अपिला बाघ बाघ थापा एनी अलं चाषीष्ट बंधन होइल वीरल काली काया छोड़े हंकार चौषष्टि बन्धन काटार भागिभल छार थार
कालिकार आज्ञा ।" साधन विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार। प्रयोग-विधि
इस मन्त्र को १०८-१०८ बार करके दो बार अर्थात् कुल २१६ बार पढ़ने से वन्दीगृह में अनेक प्रकार के छिद्र खुल जाते हैं, ताकि उनमें से वन्दी सरलता पूर्वक बाहर निकल सके । फिर इसी मन्त्र को २१ बार पढ़ कर हाथ की अंगुली द्वारा प्रहार करने मात्र से ही बन्दीगृह का द्वार खुल जाता है। तत्पश्चात् "ॐ दं हं ॐ आये आये चिविठि होलो वभनंदिका कालिका"इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित सफेद सरसों तथा सफेद पुष्पों को वन्दीगृह के पहले द्वार पर डाल देने से शेष सभी दरवाजे खुल जाते हैं।
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