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१२० | शावर तन्त्र शास्त्र
इस यन्त्र का निर्माण तथा पूजन करते समय साधक को पीले वस्त्र पहिन कर पीले रंग के आसन पर बैठना चाहिए। घी में थोड़ी सी केशर मिलाकर उसे पीले रंग का कर लें तथा उस घृत को दीपक में भर कर रुई को भी पीला रंगकर, उसकी बत्ती दीपक में डाल कर जलायें ! तत्पश्चात् एक कांसे की थाली में पिसी हुई हल्दी से षट्कोण यन्त्र का निर्माण करें। यन्त्र के छहों कोणों में 'ॐ' तथा मध्य भाग में केशर से 'ही' लिखें।
लेखनोपरान्त हल्दी से चौका लगा कर, उस पर यन्त्र को थाली रखकर, पूजन-आवाहन आदि से षोडशोपचार पूजन कर, पीले रंग के पुष्प चढ़ावें तथा केशर से पूजन कर, पीले अक्षत चढ़ाकर, पोले लड्ड का भोग रक्खे । तदुपरान्त मन्त्र का जप आरम्भ करें। प्रयोग-विधि
आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़ कर दुश्मन के मुंह की ओर फूक मार दें तो उसका मुंह बन्द हो जाता है। यदि हाकिम या अफसर गाली देकर बात करता हो तो उसके मुह की ओर मन्त्र पढ़कर फूक मारने से भी ऐसा ही प्रभाव होता है अर्थात् हाकिम या अफसर का दुष्टस्वभाव बदल जाता है और वह साधक के अनुकूल हो जाता है।
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