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१०६ / शावर तन्त्र शास्त्र
उक्त प्रक्रिया के सम्पूर्ण हो जाने पर शत्र के ऊपर शंतान चढ़ जाता है।
यदि शत्र पर चढ़े हए शंतान को कभी उतारना अभीष्ट हो तो एक गेहूँ की रोटी बनाकर उसे एक ओर घी से चूपड़े तथा उसके ऊपर एक गुड़ की भेली रखकर दरिया (नदी) में बहा दें तो शत्र के ऊपर चढ़ा हुआ शैतान उतर जायेगा।
शत्रु को परास्त करने का यन्त्र
नीचे प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर हरताल द्वारा चाहे जिस वस्तु की कलम से लिखकर पूजन करें। यन्त्र के मध्य भाग में जहाँ 'देवदत्तः' लिखा है, वहाँ शत्र का नाम लिखना चाहिए।
लेखनोपरान्त यन्त्र का पूजन करें फिर उसे किसी क्वारी कन्या के हाथ से काते गए सूत में लपेट कर पथ्वी में गाढ़ दें तथा उस स्थान के ऊपर बैठकर नित्य प्रातः कुल्ला-दाँतौन करने के बाद, उस जगह पर ७ बार लात मारे । जब तक शत्र परास्त अथवा शरणागत न हो, तब तक इस क्रिया को नित्य करते रहना चाहिए।
यन्ता का स्वरूप इस प्रकार है
भावतासा
देवदत्तः
HNI
आ
आ
(शत्रु को परास्त करने का यन्त्र)
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