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शावर तन्त्र शास्त्र | ९७
अथवा(३) बिल्ली और चुहा-दोनों की वीष्ठा लें तथा दोनों मित्रों के पाँव के नीचे की धलि में उसे सानकर एक पूतला बनायें, फिर उसे नीले रंग के वस्त्र में लपेट कर उसके ऊपर उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर फंक मारे तदुपरांत उस पुतले को श्मशान में ले जाकर गाढ़ दें।
उक्त चारों विधियों में से किसी भी एक का प्रयोग करने से दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेष (बैर) हो जाता है ।
विद्वेषण-मन्त्र (२)
मन्त्र ---'बारा सरस्यों तेरा राई पाट की मांटी मसान की छाई,
पढ़कर मारू करद तलवार, अमुका कढे न देखे अमुकी का द्वार, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो
वाचा सतनाम आदेस गुरू का।'' साधन-विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार। विशेष
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहाँ एक मित्र का तथा जहाँ 'अमूकी' शब्द आया है, वहाँ दुसरे मित्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए। यदि दोनो में एक पुरुष तथा दूसरी स्त्री हो तो 'अमुका' की जगह पुरुष के नाम तथा 'अमुकी' की जगह स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । मुख्यतः यह मन्त्र दो प्रेमी स्त्री-पुरुषों के बीच विद्वेष कराने के लिए ही प्रयुक्त होता है। प्रयोग-विधि
सरसों, राई और राख---इन सबको समान मात्रा में एकत्र करें। आक-ढाक की लकड़ी में उक्त मन्त्र का उच्चारण करते हुए इनकी १०८ आहुतियां दें। यह काम मंगलबार को करना चाहिए। अन्त में, होम की थोड़ी सी राख लेकर जहाँ दोनों स्त्री-पुरुप मित्र रहते या बैठते हों, उस स्थान पर या घर के दरवाजे के सामने डाल देने से दोनों में विद्वेष हो जाता है।
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