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शाबर तन्त्र शास्त्र | ६९
अथवा(३) मोर की बीठ और सर्प का दाँत-इन दोनों को घिसकर उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित कर अपने मस्तक पर तिलक लगाकर जिन दो व्यक्तियों के सामने खड़ा हो जाएगा, उन दोनों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा।
मारण-मन्त्र (१)
मन्त्र—ॐ ह्रीं अमुकस्य हन् हन् स्वाहा।" साधन-विधि
यह मन्त्र ग्रहण के दिन अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। विशेष
__उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ साध्यं व्यक्ति (जिसकी मृत्यु अभीष्ट हो) के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग विधि
कनेर के १००० फूलों को सरसों के तेल में भिगोकर 'उन्हें बैरी के नाम सहित मन्त्र का उच्चारण करते हुए अग्नि में होम करने से शत्रु की मृत्यु होती है।
मारण-मन्त्र (२)
मन्त्र- 'ॐ नमो हाथ फाउडी कांधे मारा भैरू बीर मसाने खड़ा
लोहे की धनी वज्र का वाण वेगना मारे तो देवी कालका की आण गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र
ईश्वरो वाचा सत्यनाम आदेश गुरू का।" साधन-विधि
मन्त्र संख्या १ के अनुसार । प्रयोग-विधि
दीवाली की रात्रि को चौका लगाकर, दीपक जला, गूगल की धूनी दे। फिर उड़दों को अभिमन्त्रित कर दीपक की लौ पर मारता जाय । पहले
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