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७५ | शावर तन्त्र शास्त्र
साधन-विधि
यह मन्त्र रविवार के दिन १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
रविवार के दिन जौ का आटा सवा पाव महीन पीस कर उसे गूथ कर एक लोई बनायें तथा उसे बेलकर मन्द-मन्द आग पर पकायें। रोटी को केवल एक ही ओर सेकें, दूसरी ओर न सेकें । वह एक ओर से हो ऐसी सिक जानी चाहिए कि दूसरी ओर भी सिकी हुई सी अनुभव हो । तत्पश्चात् जिस ओर रोटी सिकी न हो, उस ओर सिन्दूर को पानी में घोलकर, अपनी तर्जनी अंगुली द्वारा उसके ऊपर उक्त मन्त्र को लिखें। फिर गंध, पुष्प, सुपारी, पान, दीपक, गोरे बटुकनाथ तथा दक्षिणा सहित उस मन्त्र लिखित रोटी का पूजन कर । फिर उसके ऊपर मिष्ठान्न, दही तथा चीनी इन वस्तुओं को इतना और इस प्रकार से रखें कि उनसे रोटी ढंक जाय। तत्पश्चात् जिसे वश में करना हो, उसका नाम लेते हुए १०८ बार मन्त्र का जप करें। फिर मन्त्र पढ़-पढ़ कर उस रोटी के टुकड़े कर-कर के किसी काले कुत्ते को खिलादें। इस प्रयोग से साध्य-स्त्री अवश्य वशीभूत हो जाती
__इस मन्त्र के जप तथा प्रयोग काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
स्त्री-वशीकरण मंत्र (१३)
मन्त्र-“ऐं भग भुग भगनि भगोदरि भगमाले योनि भगनिपतिनि
सर्व भग संकरी भगरूपे नित्य क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मम वश मानय वरदे रेते भग क्लिन्ने क्लान द्रवे क्लेदय द्रावय अमोघे भगविधे क्षुभ क्षोभय सर्व सत्वाभगे श्वरि ऐं क्ल ज ब्लू भै ब्लु मा मलू हे हे क्लिन्ने सर्वाणि
भगानि तस्मै स्वाहा । साधन-विधि -
यह मन्त्र ग्रहण-पर्व में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है।
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