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शावर तन्त्र शास्त्र | ४३
अथवा(३) काले सर्प के फन को काट कर चूर्ण करें, फिर उसे उक्त मन्त्र पढ़ते हुए अग्नि में डालें तथा उसके धुएँ की धूप अपने अंग में लें। जिस स्त्री का नाम लेकर मन्त्र पढ़ा जायेगा, वह आकर्षित होकर समीप चली आयेगी।
सर्व मोहिनी मन्त्र (१)
मन्त्र-"पद्मनी अंजन मेरा नाम, इस नगरी में पैस कै मोहूं
सयरा गाम, न्याव करन्ता राजा मोहूं, फरस बैठा पंच मोहूं, पनघट की पनिहार मोहूं, इस नगरी में पैस के छत्तीस पवन मोहूं; जो कोई मार मार करन्त.आवै, ताहै नाहरसिंह वीर बायां पग के अँगूठा तरे घेर घेर लावे, मेरी भक्ति, गुरू को शक्ति, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा, सत्तनाम आदेस गुरू का।"
साधन विधि
सात शनि, रविवार को रात्रि के समय नाहरसिंह का विधि पूर्वक पूजन करे। दोप, धूप, चन्दन, पुष्प, रोली, चावल, गूगल, पान, सुपारी तथा लौंग से १०८ मन्त्र जपे । प्रत्येक मन्त्र के साथ पान, सुपारी, शक्कर तथा गूगल को घृत में सान कर अग्नि में होम करता जाय तथा ब्रह्मचर्य से रहे। इस विधि में मन्त्र सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग-विधि -
वन कपास की रुई में औंगा (अपामार्ग) की जड़ लपेट कर बत्ती बनाये और उससे काजल पारे । उस काजल को ७ बार मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर अपनी आँखों में आँज कर जिस स्थान पर अथवा गाँव में जाये, वहाँ के सब स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध, युवा वशीभूत हों और सेवा में लगे रहे । पण्डितों के लिए इस अंजन का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है।
सर्व ग्राम मोहिनी मन्त्र
मन्त्र-"जती हनुमन्त कनेरी मेरे घट पिण्ड का कौन है वैरी
छत्तीस पवन मोहि मोहि जोहि जोहि दह दह मेरो भक्ति
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