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शावर तन्त्र शास्त्र | ६७.
सर्व वशीकरण मन्त्र (८)
मन्त्र--"ॐ नमः कामाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय
ज्वल ज्वल प्रज्वालय प्रज्वालय सर्वजनस्य हृदयं मम
वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
__ यह मन्त्र १०००० की संध्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग करने से पूर्व इस मन्त्र को १०८ बार जप कर अभिलषित व्यक्ति के सम्मुख पहुंचने से वह वशीभूत होता है।
सर्व वशीकरण मन्त्र (6) मन्त्र --“ॐ नमो भगवते ईशानाय सोमभद्राय वशमानय
स्वाहा ।" साधन-विधि
उक्त मन्त्र ग्रहण काल में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
(१) देबदाली का रस निकाल कर, उसे सुखाकरं चूर्ण करें, फिर किसी कन्या अथवा युवती स्त्री द्वारा उस चूर्ण की छोटी-छोटी गोलियाँ तैयार करायें। इनमें से एक गोली उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री, पुरुष अथवा राजा को खिला दी जाती है, वह वशीभूत हो जाता है ।
(२) उक्त वटी का स्वयं सेवन करने से चोर, शत्रु तथा हर प्रकार की व्याधियों का भय नष्ट होता है एवं शुभत्व की प्राप्ति होती है।
(३) पुष्याऽर्क में सफेद गुन्ध (धुघची) की जड़ लाकर उसे पाँच मलों से युक्त कर तांबूल में रख लें, फिर उसे मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर साध्य-मनुष्य को खिला दें तो वह स्त्री-पुरुष कोई भी क्यों न हो, वशीभूत हो जायेगा।
(४) उक्त मन्त्र द्वारा अपने वीर्य को अभिमन्त्रित कर, उसे पान में रख कर जिसे खिला दिया जायेगा, वह अवश्य वशीभूत हो जायेगा।
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