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६२ / शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि
ध्यानोपरान्त पूर्वोक्त मन्त्र का पहले शुद्ध भाव से ५००० की संख्या में जप करें, तदुपरान्त ५०० की संख्या में पलाश के पुष्प तथा कदम्बक के फलों से दशांश होम करें। पान, फूल अथवा अन्य सुगन्धित वस्तुओं का भी होम करना चाहिए। प्रयोग-विधि
उक्त प्रयोग को सात बार करने से साध्य-स्त्री वशीभूत होती है। टिप्पणी
मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । जैसे-साध्य-स्त्री का नाम 'मालती' हो तो
___कामदेवा मालती मानय मम पद वशं च"
इस प्रकार मन्त्रोच्चारण करना चाहिए। विशेष
उक्त प्रयोग में शिव मन्दिर, चौराहे के मध्य भाग, नदी के तट अथवा श्मसान भूमि-इनमें से किसी एक स्थान में बैठकर मन्त्र-जप करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं । यह प्रयोग वशीकरण के अतिरिक्त आकर्षण एवं मोहन का कार्य भी करता है। कहा गया है कि यदि इस मन्त्र को भली प्रकार सिद्ध कर लिया जाय तो वाक्-सिद्धि तक हो जाती है।
भूत-वशीकरण मन्त्र
मन्त्र--"ॐ श्री वं वं भू भूतेश्वरी मम वश्यं कुरु कुरु
. स्वाहा ।" साधन-विधि
मूल नक्षत्र से आरम्भ करके शौच के बचे हुए जल को बबूल के पेड़ की जड़ में डालकर, उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। इस क्रिया को ४० दिनों तक निरन्तर करते रहें तो इकतालीसवें दिन भूत सामने प्रकट होकर पानी की माँग करेगा। उस समय उसमें तीन वचन लेकर यह कहें कि याद किये जाने पर वह तुरन्त काम करने के लिए हाजिर हो जाया करेगा । जब वह वचन दे दे, तब उसे पानी दे दें। तत्पश्चात् जब तक उसे पूर्वोक्त विधि से पानी मिलता रहेगा, तब तक वह साधक की सेवा में बना रहेगा । भूत के
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