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शावर तन्त्र शास्त्र | ४१
आकर्षण मन्त्र (३)
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मन्त्र- 'ॐ ह्रीं ठः ठः स्वाहा ।" साधन-विधि
__ मंगलवार से प्रारम्भ कर, इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जपना आरम्भ करें। जप पूर्ण हो जाने पर जप संख्या का दशांश होम, होम का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन करायें। प्रयोग-विधिनीचे लिखे मन्त्र संख्या ४ के अनुसार ।
आकर्षण मन्त्र (४)
मन्त्र-"ॐ नमो भगवते रुद्राय एदृष्टि लेखि नाहरः स्वाहा
दुहाई कंसासुर की जूट जूट फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" साधन-विधि
किसी भी मंगलवार से आरम्भ कर इस मन्त्र का २१ दिन या १० दिन में अथवा ११ मंगलवारों में कुल १०००० की संख्या में जप करें । मन्त्रजप पूरा हो जाने पर, जप का दशांश होम, होम का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन कगयें। परीक्षा-विधि
उक्त दोनों मन्त्रों (संख्या ३ तथा संख्या ४) की परीक्षा करने की विधि एक जैसी है, जो इस प्रकार है
एक सरकण्डे को बीच में से चीर कर दो लम्बे टुकड़े करलें तथा दोनों सरकण्डों के सिरों को दो मनुष्य अपने दोनों हाथों में अलग-अलग पकड़ लें। फिर चूहे के बिल की मिट्टी, सरसों और बिनौला-इन तीनों का चूर्ण कर, उसे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके सरकण्डों के टुकड़ों पर मारे। इस क्रिया से यदि वे दोनों टुकड़े एक दूसरे की ओर झुकते हुए आपस में मिल जाय तो समझे कि मन्त्र सिद्ध हो गया है। प्रयोग-विधि
जिस व्यक्ति का आकर्षण करना हो, वह यदि परदेश में हो तो उसके पहनने के वस्त्र पर पूर्वोक्त वस्तुओं के चूर्ण को अभिमन्त्रित करके
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