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४० / शावर तन्त्र शास्त्र साधन एवं प्रयोग विधि
इस मन्त्र को अर्द्धरात्रि के समय आकाश के नीचे एकान्त में खड़ा होकर १२०० की संख्या में जपने तथा साध्य-स्त्री का स्मरण करने से वह दो या तीन दिन में साधक के प्रति आकर्षित हो जाती है।
आकर्षण मन्त्र (२)
मन्त्र- 'ॐ नमो आदि रूपाय अमुकं आकर्षणं कुरु कुरु
स्वाहा ।" विशेष
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्य-व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिये। साधन विधि -
ग्रहण, दीपावली अथवा होली को १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि -
(१) काले धतूरे के पत्ते का रस तथा गोरोचन-इन दोनों को मिलाकर श्वेत कनेर की कलम से भोजपत्र के ऊपर उक्त मन्त्र को लिखकर उसे ख़र के अंगारों पर तपाये। इस विधि से साध्य-व्यक्ति यदि १०० योजन दूर चला गया हो तो भी वह आकर्षित होकर समीप चला आता है।
अथवा(२) अनामिका अँगुली के रक्त से सफेद कनेर की कलम द्वारा भोजपत्र के ऊपर उक्त मन्त्र को साध्य-व्यक्ति के नाम सहित लिख । फिर उसके नाम से १०८ बार अभिमन्त्रित कर, भोजपत्र को शहद में डाल दे तो गया हुआ व्यक्ति आकर्षित होकर लौट आता है।
अथवा(३) मनुष्य की खोपड़ी में गोरोचन तथा केसर द्वारा मन्त्र लिखकर तीनों समय खर की अग्नि में तपाने से साध्य-व्यक्ति का आकर्षण होता है।
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