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३६ | शावर तन्त्र शास्त्र
चाल नाहरसिंह कहां लगाई एती बार देसू केसर कू मुर्गा की ताज कड़ो, देसू मध की धार, आराधो आयो नहीं कहाँ लगाई एती बार । देखू नाहरसिंह वीर तेरा कोया, अमुकी का घट पिण्ड बाँध मेरे हाथ दीया, मारता का हाथ बाँध, बोलता की जीभ बाँध, झांकता का नैन बाँध, हीया बूका बकडो बकडो बाँध, बोटी बोटी बाँध, पकड़ लटी पछाड़ मार, मेरा पग तले ला पछाड़, चढ़तो देसू केसर कूकडो उतरतां देसू मध की धार, इतना दूं जब उतर जो खोल जो धोरे-धार, हमारा उतारा उतरजो, और का उतारा उतरे तो नाहरसिंह तू सही चिण्डाल शब्द साँचा, पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो
वाचा ।" । विशेष
__ उक्त मन्त्रों में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहां साध्य के नाम का उच्चारण करना चाहिये। साधन-विधि
किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर, मुर्गा की केसर एक चने के बराबर, गुगल तथा शहद मिलाकर गोली बाँधे । पूजन के समय उसे आग पर रक्खें । ५बताशे, पान का बीड़ा, नारियल, लौंग, इलायची, सुपारी तथा भोग रक्खें । फिर दीपक जलाकर उसके आगे १०८ की संख्या में मन्त्र का जाप करें। इस प्रकार नित्य सात दिनों तक मन्त्र जप करने से सिद्ध हो जाता जाता है।
बाद में हर होली, दिवाली तथा ग्रहण के समय इस मन्त्र का जप करते रहना चाहिये।
मसान जगाने का मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ नमो आठ काठ की लाकड़ी मूज बनी का बान,
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