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शावर तन्त्र शास्त्र | ३७
मूवा मुर्दा बोले नहीं तो माया महावीर की आण, शब्द सांचा, पिण्ड काँचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।"
साधन एवं प्रयोग विधि
पीने की दारू (शराब) एक सेर, चमेली का फूल, लोबान की धूप, छाड़, छबीला, कपूर कचरी, इत्र तथा सुगन्ध इन वस्तुओं को लेकर श्मशान में जा बैठे। वहाँ श्मशान के मुर्दे के ऊपर दारू की धार छोड़े तथा धूप देकर फूल बखेर दें। फिर उससे कुछ दूर हट कर पूर्वोक्त मन्त्र को पढ़े, तदुपरान्त पुनः दारू की धार दे । श्मशान हाहाकार करता हुआ जग पड़ेगा ।
अदृश्य करण मन्त्र
मन्त्रा - "ॐ हुँ फट् कालि कालि माँस शोणितं खादय खादय देवि मा, पश्यतु मानुषेति हुँ फट् । "
साधन-विधि
दीपावली अथवा होली की रात्रि अथवा ग्रहण पर्व में ३ लाख को संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है. ।
प्रयोग-विधि
आक, सेमल, कपास, रेशम तथा कमल सूत्र - इन पांच वस्तुओं की ५ अलग-अलग बत्तियाँ बनायें, फिर उन्हें ५ मनुष्यों की खोपड़ियों में अंकोल का तेल भर कर अलग-अलग जलायें तथा उन पांचों दोपकों की लौ से काज़ल पारें ।
विशेष
उक्त क्रिया किसी शिवालय अथवा श्मसानभूमि में करनी चाहिए | काजल पर जाने पर, पाँचों काजलों को एकत्र कर, उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर अपनी आँखों में आँजें तो स्वयं तो सबको देख सकगे, परन्तु अन्य लोगों की दृष्टि में अदृश्य बने को अपनी आँखों में लगाने वाला व्यक्ति अन्य देता ।
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रहेंगे अर्थात् उक्त काजल लोगों को दिखाई नहीं