Book Title: Natyadarpan Hindi
Author(s): Ramchandra Gunchandra, Dashrath Oza, Satyadev Chaudhary
Publisher: Hindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi
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में भी[ ८.१९ प्रयोगाम्युष्य' का ठीक वही स उदाहुमा है। परन्तु यह अन्य श्री इस समय उपलब्ध नहीं है।
२१. बालिकावम्बितकम्-जलविलास में 'बालिकावंचितक' के समाहरण रोकार दिए गए हैं। एक उदाहरण उसके पामुक से लिया गया है। उसमें 'बीपी' के नव भग 'माली' का प्रयोग निम्न प्रकार दिवसाया है"या बालिकावंचित पारिपाश्विक:
तपनीयोज्ज्वलकरकं. कुवलयापि भासमानाकाले।
तेजोमयं दिनकराद् द्वितीयमावव मे भूतम् ।। पत्र निगूढो मारवलक्षणोऽर्थः ..... लोके "द्वितीयमेनं 'मुनि पश्व' इति चतुपादान्यषाकरणेन व्याश्यात इति।"
[नारयदर्पण २-३५] इसमें प्राकाश-मार्ग से कृष्ण के पास पाते हुए नारद का वर्णन है। दूसरे स्थान पर"यथा वा बालिकावञ्चितके
रिष्टस्तावदुरप्रभृङ्गविकटः शैलेन्द्रकल्पा वृषः, सप्तद्वीपसमुद्रजस्य पयसः शोषक्षमा पूतना । केशी वाजितनुः खुरैविघटयेदापनगांन्मेदिनी, सार्थ बन्धुभिरेवमूजितबलं का कंसमास्कन्दति ॥"
[नाटयवर्पण २-३२] मादि श्लोक इस 'बालिकावञ्जितक' से उद्धृत किए गए हैं। इन उद्धरणों से प्रतीत होता है कि यह रूपक कृष्ण की कथा को लेकर लिखा गया है, और उसमें 'बालिका' पद कदाचित् राषा के लिए प्रयुक्त हुपा होगा । दुर्भाग्य से यह रूपक भी उपलब्ध नहीं होता है।
२२. मनोरमावत्सराजम्-नाट पदर्पण के द्वितीय विकेक में 'वीथी' के 'प्रसत्तालाप' नामक पक्ष के निरूपण के प्रसङ्ग में केवल एक वार इसका उल्लेख किया गया है। उसमें "यथा भीमट-विरचिते मनोरमावत्सराजे" इस रूप में इस रूपक का निर्देश किया गया है। जैसा कि इसके नाम से ही प्रकट है यह रूपक वत्सराज उदयन की कथा को लेकर लिखा गया है। उदयन के भरित को लेकर संस्कृत साहित्य में भनेक ग्रन्थों की रचना हुई है। (१) वासवदता, (२) वीणावासवदत्ता, (३) स्वप्नवासवदत्ता, (४) प्रतिज्ञायोगन्धरायण, (५) रत्नावली, (६) प्रियदर्शिका, (७) कौशालिका, (८) अभिसारिकाशितक, (E) तापसवत्सराज, (१०) उदयनचरित मादि सभी ग्रन्थ एक ही कथा को लेकर. लिखे गए है। भीमट कवि का यह 'मनोरमावत्सराज' रूपक उसी श्रेणी में प्राता है। इसके निर्माता भीमट के विषय में अल्हण-संकलित 'सूक्तमुक्तावली' में एक पंच पाया है -
कलिजरपतिश्पके भीमट: पञ्चनाटकीम् । प्रापप्रवन्धराजत्वं तेषु स्वप्नदशाननम् ॥
[सूक्तमुकाबली २:६३] अर्थात् भीमट कवि कलियर के राजा थे। उन्होंने पांच नाटक बनाए थे जिनमें 'स्वप्न-दशानन' नामक सर्वश्रेष्ठ था । पिटसन प्रादि के अनुसार 'रावणीमान' काव्य के निर्माता भीम और फलिभरराज भीमट एक ही व्यक्ति है। वेद की बात है कि उनकी यह कति भी पानी तक प्रकाश में नहीं पाई है।
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